पश्चिमी चम्पारण. बगहा शहर के सीताराम आश्रम में 19 सालों से लगातार सीताराम धुन जारी है. सीताराम धुन संकीर्तन की शुभारंभ 1999 में हो गया था, लेकिन 2003 में एक कमेटी बनाकर 14 वर्षों के लिए सीताराम धुन संकीर्तन अनवरत जारी रखने की बगहा के लोगों ने प्रतिज्ञा ली. मगर, 14 वर्ष बीत जाने के बाद यह संकीर्तन आज भी अनवरत हो रहा है. कभी 10 से 15 लोग तो कभी दो ही लोग बैठकर सीताराम संकीर्तन करते दिखाई देते हैं.
बताया जाता है कि यहां 27 मई 1984 को देवराहा बाबा के नाम से एक आश्रम बनाया गया था. यहीं पर 1999 में तपस्वी आत्मानंद दास महत्यागी के द्वारा एक यज्ञ करवाया गया. इसके बाद से इस मंदिर का नाम सीताराम आश्रम पड़ गया. कुछ सेवादार भी मंदिर परिसर में स्थायी रूप से डेरा डाले हुए हैं जो मंदिर में जाप करते हैं. दो से तीन घंटे कीर्तन के बाद दूसरों की बारी आती है.
इन सेवादारों को मंदिर की ओर से भोजन, फलाहार का इंतजाम किया जाता है. इसके साथ ही सुबह-शाम आसपास की महिलाएं और पुरुष मंदिर में पहुंचकर सीताराम संकीर्तन करते हैं. मंदिर के अंदर राम सीता और लक्ष्मण की मूर्ति विराजमान है. जिसके सामने संकीर्तन किया जाता है.
इन लोगों ने किया था शुभारंभ
शहर के मुन्नू बाबू, सीताराम कुशवाहा, भोला मिश्रा, मुन्ना सिंह, हरिशंकर साहनी, श्याम बदन यादव, लाल बहादुर सिंह, चंद्रमा देवी, सुरेंद्र सिंह, राम तिवारी, ईश्वर प्रसाद, सूर्य नाथ तिवारी, कैलाश तिवारी, तिरोकी पाठक आदि सहयोग से यज्ञ के बाद सीताराम संकीर्तन का शुभारंभ हुआ था.
धीरे-धीरे इस मंदिर की महिमा चारों तरफ फैलने लगी. शहर के साथ गांव के लोग भी इसमें जुड़ने लगे. कई लोगों ने सालाना सदस्यता भी ग्रहण किया. सीताराम संकीर्तन के लिए साल में लोगों का भी आर्थिक योगदान होने लगा.
अनवरत चलेगा सीताराम संकीर्तन
सीताराम आश्रम के संस्थापक त्यागी बाबा ने बताया कि यूं तो बहुत सालों से सीताराम संकीर्तन चल रहा था, लेकिन 2003 में अनवरत 14 साल के लिए सीताराम संकीर्तन की प्रतिज्ञा ली गई. अब 14 वर्ष बीत भी गए, लेकिन यह संकीर्तन अनवरत चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि मेरे जीवन काल में सीताराम संकीर्तन का बंद नहीं होगा.
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FIRST PUBLISHED : May 05, 2022, 09:28 IST