गोपालगंज. बरौली प्रखंड के सलेमपुर में स्थित भागर जलाशय किसानों लिए वरदान साबित हो रहा है. इस जलाशय में दुर्लभ प्रजाति के शैवाल यहां के लोगों के लिए जीविकोपार्जन का जरिया बन गया है. लेकिन, लगातार इस जलाशय का दायरा तेजी से सिमट रहा है इससे किसान बेहद चिंतित हैं. जहां पहले यह जलाशय 180 एकड़ में फैला था वहीं, वर्तमान में जलाशय का दायरा सिमट कर अब 100 एकड़ में रह गया है.
दरअसल इस जलाशय में मछली पालन के साथ यहां मिलने वाली दुर्लभ प्रजाति की शैवाल बेहद खास है. मत्स्य विशेषज्ञ केशव तिवारी के अनुसार, जलाशय में दुर्लभ प्रजाति के शौवाल हैं. यहां मौजूद शैवाल को दवन घास कहते हैं. बॉटनी की भाषा में यह एलगी ग्रुप का पौधा है. इसमें वसा और नाइट्रोजन की प्रचुरता होती है. इससें जलीय जीवों को ग्रोथ तेजी से बढ़ता है. नाइट्रोजन के कारण पानी में मिठास और ठंडक बनी रहती है.
यहां के मछुआरे जलाशय से शैवाल एकत्रित कर प्रति ट्रॉली यानी (एक नाव) शैवाल 12 सौ रुपए में बेचते हैं. दूसरे जिले के व्यापारी मछलियों के चारे व दवा बनाने के लिए शैवाल की खरीदी करते हैं. ऐसा माना जाता है की इस जलाशय से शैवाल निकाल कर किसी अन्य तालाबों या जलाशयों मे रखा जाये तो वह कारगर नहीं हो पाता है.
इस जलाशय की खासियत है. यहां के पानी में गजब का मिठास है. इसका कारण है कि प्रत्येक साल नारायणी का पानी जलाशय के गर्भ को भर जाता है. पानी का बहाव स्थिर होने पर शैवाल जमने लगते हैं. यह शैवाल भी दुर्भल प्रजाति की है. ऐसा शैवाल केवल इसी जलाशय में मिलता है.
बाहर के मछली पालक बड़े पैमाने पर यहां से शैवाल खरीद कर ले जाते हैं. यह शैवाल मछलियों को पसंद है जिससे उनका ग्रोथ तेजी से बढ़ता है. पानी में यह शैवाल नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ा देता जिससे पानी की मिठास बढ़ जाती है.
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FIRST PUBLISHED : May 03, 2022, 18:02 IST