शंभुगंज (बांका) : कुपोषण दूर करने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केंद्रों पर है, पर विभागीय उपेक्षा के कारण वे खुद कुपोषण के शिकार हैं। प्रखंड में 211 आंगनबाड़ी केंद्रों में मात्र 101 को अपना भवन है। शेष विद्यालय, सामुदायिक स्थान एवं किराए के मकानों में संचालित हो रहे हैं। बाल विकास परियोजना कार्यालय के आंकड़े के अनुसार 75 जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र भाड़े के मकानों में संचालित हो रहा है।
आश्चर्य तो यह है कि कई जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र के लिए भवन निर्माण शुरू तो हुआ, लेकिन अधर में लटका रह गया। प्रखंड मुख्यालय के करीब वार्ड संख्या पांच में गर्भू बाबा स्थान के समीप जिला परिषद योजना से 2011-12 में लाखों रुपये खर्च कर भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। योजना मद की राशि निकाल ली गई, बावजूद भवन अधूरा है। स्थिति है कि आज 10 वर्षों से भी अधिक समय बीत गए, लेकिन केंद्र का निर्माण नहीं हो सका है। मौजूदा हालात यह है कि आंगनबाड़ी का अर्धनिर्मित भवन नशेड़ियों का जमघट बन गया है। देखरेख के अभाव में चोरों द्वारा भवन से ईंट की चोरी हो रही है। ग्रामीण विकाश कुमार, ब्रजेश यादव, फोटो तांती, राजू तांती सहित अन्य ने बताया कि बच्चों की परेशानी देख वार्ड संख्या पांच में आंगनबाड़ी भवन निर्माण की शुरुआत हुई, लेकिन राशि खर्च होने के बाद भी भवन पूरा नहीं हुआ है। इसकी शिकायत कई मरतबे राजनेताओं से लेकर विभाग से की गई। पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। जिस कारण है कि छोटे-छोटे बच्चों को धूप, बरसात में परेशानी का सामना करना पड़ता है। बताया कि यदि अविलंब समस्या समाधान नहीं हुआ तो सीडीपीओ कार्यालय का घेराव होगा। इधर, विभाग के अभियंता सह कार्य एजेंसी ओमप्रकाश ने बताया कि जिला परिषद कोटे से भवन निर्माण हुआ है। तकनीकी कारणों से भवन निर्माण पर ब्रेक लग गया है।
भवन विहीन केंद्र होने के बाद भी केंद्र संचालन सही तरीके से हो रहा है। करसोप के अर्धनिर्मित भवन के बार में कोई जानकारी नहीं है।
चंचला कुमारी, सीडीपीओ