जगदूत न्यूज वलसाड -गुजरात से टंकप्रसाद दाहाल की रिपोर्ट
गुजरात राज्य के वलसाड जिले की उमरगांव तालुका की सरीगाम-भिलाड स्थित की निलकंठ चेरीटेवल ट्रस्ट द्वारा आ”योजित श्री निलकंठ महादेव मंदिर की 12वीं वार्षिक पावन अवसर पे श्री निलकंठ महादेव मंदिर की प्रांगण मे 28 नोवेम्बर चल रहीं नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का हुवा समापन – समापन 6 दिसेम्बर शुक्रवार रात विशाल भंडारा के आयोजन के साथ हुआ गुजरात राज्य के वलसाड जिले की उमरगांव तालुका की सरीगाम-भिलाड स्थित की निलकंठ चेरीटेवल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्री निलकंठ महादेव मंदिर की 12वीं वार्षिक पावन अवसर पे श्री निलकंठ महादेव मंदिर की प्रांगण मे 28 नोवेम्बर चल रहीं नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का हुवा समापन – समापन 6 दिसेम्बर शुक्रवार रात को विशाल भंडारा के आयोजन के साथ हुआ–जिसमे नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का समापन शुक्रवार को हुआ तो पूरा श्री निलकंठ महादेव मंदिर की पांडाल पूरी तरह भाव-विभोर हो गया। यहां हजारों श्रद्धालुओं के आंखें भर आई। इससे पहले श्रीराम महाकथा मे एंव महायज्ञ में आहुति देने का कार्यक्रम दिन प्रतिदिन विधिवत चलाता रहा।। इस महाकथा मे श्रीराम महायज्ञ में महाअग्नि लगातार 9 दिनों तक प्रज्वलित होती रही। आपको बता दें की इस कथा मे तो हवन-पूजन, आहुति और यज्ञ मंडप की परिक्रमा के लिए श्रद्धांलुओं मे ज्यादातर महिलाओं की प्रतिदिन बड़ी संख्या में उपस्थिति बनी रही। वहीं संगीतमय राम कथा में कथा वाचक परमपूज्य श्री महंत जयानन्द सरस्वती महाराज की मधुर आवाज रामभक्तों को भाव विभोर करती रही। इस दौरान उन्होंने श्रद्धालुओं को जीवन के कई अनमोल पहलुओं से अवगत कराया। कथा के शिलशिला पर रामजन्मोत्सव तथा बाल लीला एंव भगवान राम के अवतार-और-धनुष भंग एवं श्री सीताराम विवाह महोत्सव तथा – वन प्रदेश की मंगल यात्रा, भरत जी का प्रेम, शबरी का प्रेम, नवधा भक्ति एवं हनुमान जी से मिलन और भगवान रामेश्वर जी का पूजन अर्चना के बाद मे संगीतमय रामकथा का रावण वध के साथ समापन हुआ। और इस कथा मे कलाकार रमेशभाई भरवाड एंव उनकी समुह द्वारा संगीतमय कार्यक्रम और भजन मंडली द्वारा भजन कीर्तन के साथ डांडिया नाँच का भी प्रस्तुति रही।। इस 12वें वार्षिक महोत्सव के कथा मे भगवान राम और सीता के विवाह का कथा का वर्णन करते हुए कथा वाचक परमपूज्य श्री महंत जयानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि भगवान राम व माता सीता की जोड़ी विश्व के आदर्श जोड़ी है। जीवन के सभी उतार-चढ़ाव में किस तरह आये लेकिन माता सीता जी नें अपने पति भगवान श्रीराम के साथ कदम से कदम मिला कर हंसते हुए चलती रही। इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि महलों में रहने वाली माता सीता ने वन गमन के दौरान एक शब्द भी कुछ नहीं कहा। महल से निकल कर वन की ओर जाते हुए भी भगवान राम की तरह ही माता सीता के मुख पर भी मुस्कान थी। वन गमन के साथ लंका प्रवेश और राम-रावण युद्ध के साथ रावण वध तक का कथा प्रस्तुत किया। कथा मे संदेश देना सहित पूर्व की सारी कथा संक्षिप्त में संगीत के माध्यम से सुनाई। और शांति का संबंध साधन से नहीं साधना से है – महाराज सरस्वती ने कहा है कि मनुष्य के जीवन में शांति साधन से नहीं साधना से ही आ सकती है। जब भी हम कोई कार्य करने घर से निकले तो हर्षित मन से तैयार हो और भगवान श्रीराम का नाम लें। यह सोचे कि यह मैं नहीं कर रहा हूं, यह तो भगवान करवा रहे हैं। मैं तो माध्यम हूं जिससे ऊर्जा का संचार होगा। और इस कथा का आयोजक नें यह कहा की भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान जहां दीन-दुखियों व वनवासियों के कष्ट दूर किए, वहीं उन्हें संगठित कर समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म किया। भगवान राम ने रावण का वध कर सत्य व धर्म की स्थापना कर संदेश दिया कि बुराई, असत्य व अधर्म अधिक समय तक नहीं रहता है। अंततः अधर्म पर धर्म की ही जीत होती है। राम कथा भक्त को भगवान से जोड़ने की कथा है और हमें यह संदेष देती है कि कैसे भी संकट में हमें घबराना नहीं चाहिए और सत्य से विमुख नहीं होना चाहिए। श्रीराम कथा भक्त को भगवान से जोड़ने की कथा है-मन के रावण का अंत करते ही भगवान राम की प्राप्ति हो जाएगी।। इस वार्षिक अवसर पे श्रीराम कथा के समापन के दिन निलकंठ महादेव मंदिर के सम्पुर्ण सदस्य लोग ने अपनी अपनी भागीदारी निभाते हुये इस वाषिर्क महोत्सव को सफलता के पायदान पर पहुँचाया।इस पुन्य अवसर पर भिलाड-सरीगाम एंव इस के आसपास क्षेत्रके भगवान श्रीराम के और भगवान निलकंठ महादेव के कयौ श्रद्धालु को एंव भक्क्तोजनो को बडी मात्रा मे उपस्थित थे। इस मंदिर के परिसर क्षेत्र मे श्रद्धालु के इतनी भीड थी की आने-जाने लिए वार-पार करने क़ुछ रास्ता नहि बचा था ! इस नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा भव्य एंव सफल आयोजन के लिये निलकंठ चेरीटेवल ट्रस्ट के ट्रस्टियों मे से- डाक्टर श्री विशालकुमार पटेल, डाक्टर महोदया दिप्ति पटेल एंव उनके समस्त परिवारों सदस्य,रविन्द्रभाई कोलते,दिलीपभाई पाटील, अरविन्दभाई पटेल सुभाषभाई मिस्त्री,मनसुखभाई,विश्वास सीतुत,दिलीपभाई विश्वास,जयेशभाई खांट,रामअवतार निर्वाण,विक्रांतभाई आरेकर,धनंजय आरेकर तथा कई अन्य कार्यकर्ता बन्धु द्वारा सफल आयोजन हुआ।
नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का हुआ समापन
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