*सैय्यद आसिफ इमाम काकवी *
जगदूत अनिल कुमार गुप्ता ब्यूरो प्रमुख जहानाबाद जब एक बच्चा बिहार की गलियों से निकलकर JEE Mains जैसे देश के सबसे कठिन इंजीनियरिंग परीक्षा में टॉप करता है, तो वह केवल एक परीक्षा पास नहीं करता वह समाज की सोच, भेदभाव और पूर्वाग्रहों को भी ध्वस्त करता है।
अब्दुल्ला, बिहार का वह बेटा है जिसने JEE Mains 2025 में 99.9944594 स्कोर के साथ इतिहास रच दिया। वह न केवल बिहार का टॉपर बना, बल्कि पूरे देश में 100 परसेंटाइल क्लब में शामिल 24 छात्रों में से एक बना। लेकिन जो बात सबसे खास है, वह यह कि अब्दुल्ला का सफर एक बेहद साधारण और संघर्षशील पृष्ठभूमि से शुरू हुआ। समाज ने उसे ‘पंचर बनाने वाला’ कहा, लेकिन उसने खुद को ‘भारत का इंजीनियरिंग हीरो’ साबित कर दिखाया।बिहार के अब्दुल्लाह और राजस्थान के अनस की सफलता को महज़ एक शैक्षिक उपलब्धि मान लेना ठीक नहीं होगा। यह उस सामाजिक सोच को भी चुनौती देती है जो अक्सर मुस्लिम युवाओं को शिक्षा के बजाय सीमित विकल्पों तक ही सीमित कर देती है। इन दोनों छात्रों ने यह दिखा दिया है कि ‘पढ़ो और आगे बढ़ो’ का सपना अब ज़मीन पर उतर रहा है। अब्दुल्लाह और मोहम्मद अनस की यह सफलता किसी व्यक्तिगत जीत से कहीं आगे की बात है। यह समाज में बदलाव की दस्तक है – एक नई पीढ़ी की, जो अपनी पहचान मेहनत और ज्ञान से बना रही है। यह समय है कि हम इन कहानियों को आगे बढ़ाएं, ताकि हर गली-मोहल्ले से एक अब्दुल्लाह और एक अनस निकल सके। कई बार मीडिया और समाज के एक हिस्से की नज़र में मुसलमानों को केवल मजदूरी, रिक्शा चलाना या पंचर बनाना ही आता है। लेकिन अब्दुल्ला ने यह दिखा दिया कि अगर अवसर मिले, तो हम न सिर्फ बराबरी कर सकते हैं, बल्कि मिसाल भी बन सकते हैं। वह एक आइना है उस सच्चाई का जिसे छुपाने की कोशिश की जाती है—कि मुस्लिम बच्चे भी आज देश के टॉप संस्थानों में जा रहे हैं, रिसर्च कर रहे हैं, विज्ञान, तकनीक और कला के क्षेत्र में नेतृत्व कर रहे हैं। अब्दुल्ला जैसे बच्चे जब बिना किसी संस्था या संसाधन के टॉप कर जाते हैं, तो यह सवाल भी उठता है
जरूरत है कि हम अपने हर अब्दुल्ला को पढ़ने दें, सोचने दें, सपने देखने दें। यह सिर्फ अब्दुल्ला की जीत नहीं है, यह पूरी कौम की हिम्मत की जीत है। यह दिखाता है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादा नेक हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी बच्चा देश का गौरव बन सकता है। अल्लाह हमारे सभी बच्चों को अब्दुल्ला जैसी कामयाबी दे, और हमें उनके लिए एक मजबूत और बराबरी वाला समाज बनाने की तौफीक दे।